सिल लेवल अंग्रेज़ी
के sill level का हिंदी में यथावत
किया जाने वाला प्रयोग है।
मूल शब्द "सिल"
(sill) किसी दरव़ाजे, खिड़की, मंदिर के प्रवेश द्वार के तल या भवन
आदि के किसी अन्य खुले भाग के तल पर लगाये जाने वाले पत्थर के धरन, चौखट के निचले पाट, लकड़ी के पटिये, शिलापट्ट आदि को दर्शाने
के लिये काम में लिया लिया जाता है। हिंदी
में इसे मूंदन, देहली, या देहल कहते हैं।
ऐसी मूंदन, देहली आदि
के तल का स्तर दर्शाने के लिये सिल लेवल का प्रयोग किया जाता है जिसे हिंदी में मूंदन
तल कह सकते हैं।
जलाशयों से सिंचाई
करने के लिये नहरें बनाई जाती हैं जिनमें पानी का निकास बाँध के जिस स्तर से होता
है उसे भी सिल लेवल कहा जाता है जिसका हिंदी रूपांतर मोरी तल है।
मोरी तल, बाँध के सबसे निचले स्तर से कुछ ऊपर
निर्धारित तिया जाता है ताकि नहरों से सिंचाई के बाद भी कुछ पानी जलाशय में बचा
रहे जो मछलियों और अन्य जलजीवों को जीवित रख सके।
किसी जलाशय का मोरी तल निर्धारण के समय यह भी ध्यान रखा
जाता है कि इसके नीचे की जल संग्रह क्षमता जलाशय के उपयोगी जीवनकाल में आने वाली
गाद के अधिकांश भाग को अपने में समा सके। इसीलिये मोरी तल के नीचे की जल संग्रह
क्षमता को अनुपयोगी जल संग्रह क्षमता कहा जाता है क्योंकि इसे सामान्यतः नहरों के
माध्यम से काम में नहीं लिया जा सकता है और समय के साथ इसमें कमी आना निश्चित है।
No comments:
Post a Comment